खन्नौत नदी उद्गम स्थल पर स्नान घाट की स्थापना, भंडारा आयोजित
पीलीभीत जिला क्षेत्र में पौराणिक व प्राचीन स्थलों को समेटे हुए हैं, इनमें से एक खन्नौत नदी भी है जो कि प्राचीन समय से पीलीभीत की भूमि को जल से सीचती चली आ रही है। लेकिन समय अंतराल ने इसकी पहचान खो दी थी और अब इसकी पहचान बेल ताल के नाम से बन चुकी है। पीलीभीत में पर्यटक को लुभाने की कई संभावनाएं बनी हुई है, जिनमें से यहां के पौराणिक धार्मिक स्थल और प्राचीन सभ्यताएं और नदियां हैं। इसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार पीलीभीत जिले को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में जुटी हुई है। पीलीभीत से लखनऊ तक बहने वाली आदि मां गोमती नदी के अलावा दूसरी नदी खन्नौत नदी भी सहायक नदी गर्रा में जा करके मिलती है और उसके बाद यह गंगा में समाहित हो जाती है। खन्नौत नदी जो कि कलीनगर तहसील के जमुनिया गांव के पास बेल ताल के नाम से मशहूर है, इसकी पहचान धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही थी। खन्नौत नदी की पहचान दोबारा प्रतिस्थापित करने के लिए जगमोहन दक्ष एवं गोमती के मित्र मंडली सदस्य (विचार क्रांति न्यूज़ प्रधान संपादक) की अगुवाई में क्षेत्र के युवाओं ने संगठित होकर धनतेरस के मौके पर मंदिर निर्माण कर मां महालक्ष्मी की स्थापना कराई। इसके बाद 14 जनवरी 2021 मकर संक्रांति प्राकृतिक पर्व पर बेल ताल को खन्नौत नदी उद्गम स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए इस स्थान पर प्रकृति तप व स्नान घाट की स्थापना भी कर दी गई। कार्यक्रम में क्षेत्र के लोगों ने बढ़चढ़ के भाग लिया और मकर संक्रांति के पर्व पर विशाल भंडारे में उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जगमोहन दक्ष, अमित, विपिन शर्मा, राहुल,, बीरपाल, नीरज, प्रेमपाल, अंकित सक्सेना, राजेश, रविंदर, प्रदीप कश्यप, राघव, चंद्रपाल सरोज आदि ने भंडारा कार्यक्रम में अभूतपूर्व सहयोग कर कार्यक्रम को सफल बनाया।
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