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संपादकीय! बाबा रामदेवः घर का जोगी जोगिया, आन गांव का सिद्ध

संपादकीय! बाबा रामदेवः घर का जोगी जोगिया, आन गांव का सिद्ध बाबा रामदेव कोरोना वायरस की दवा को लेकर एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं, बाबा ने दावा किया है कि उनकी बनाई दवा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को मात देने में उपयोगी है। इस घोषणा के बाद राजनैतिक और व्यवसायिक उथल.पुथल के साथ बाबा रामदेव का विरोध चरम सीमा पर है। अब बात करें कि आखिर भारतीय साधु बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा कैसे बना ली। जबकि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में सफल नहीं हुए। बाबा रामदेव की दवा सबसे पहले राजनीतिक द्वेष भावना का शिकार हुई और फिर सरकार ने भी तरह.तरह की तोहमतें लगाकर बाबा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सवाल यह उठता है कि क्या बाबा रामदेव ने वाकई में कोरोना वायरस की दवा बना ली है, इस परिस्थिति में सरकार को बाबा की औषधि का परीक्षण कराना चाहिए और कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों पर प्रयोग करना था। लेकिन उसका उल्टा ही हुआ दवा कोरोना वायरस को मात देने में कितनी सफल है इस बात पर मंथन एवं परीक्षण ना करके विरोध किया जा रहा है कि आखिर बाबा ने कोरोना वायरस की दवा कैसे बना ली। इस ब

संपादकीय! हर भारतीय की आंखों में चीन से प्रतिशोध लेने की चमक होनी चाहिए

संपादकीय! हर भारतीय की आंखों में चीन से प्रतिशोध लेने की चमक होनी चाहिए चीन के बाद दुनिया के लिए विकल्प होगा आत्मनिर्भर भारत @रामनरेश शर्मा चीन से डरने की जरूरत नहीं है, आधुनिक दौर में आत्मनिर्भर भारत को चीन पर नजर रखने की जरूरत है और नंबर दो से एक के पायदान पर पहुंचने में देर नहीं लगेगी। चीन के मुकाबले भारत दुनिया में आबादी के मामले में नंबर दो पर है और चीन अब तक बेरोजगारी को अथियार बनाकर दुनिया में चमका है। चीन ने बढ़ती आबादी को रोजगार की दिशा देकर दुनिया भर में सस्ते गैजेट उपलब्ध कराए है और आर्थिक स्थिति को दुरूस्त किया। भारत उसके नक्शे कदम पर चलकर चीन को मात देने की ताकत रखता है और जब वार आर्थिक स्थिति पर होगा तो चीन तिलमिलाएगा। चीन की बौखलाहट से निपटने के लिए भारत को हर दम तैयार रहना होगा। आर्थित मामलों के विशेषज्ञों की माने तो चीन कोरोना वायरल से हुए जान माल व आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए बिना वजह ही भारत से युद्ध छेड़ सकता है। चीन वर्तमान समय को दृष्टिगत रखते हुए भारत से युद्ध मोल लेकर भी आंतरिक स्थिति को साधने का हर संभव प्रयास करेगा। भारत को भी महामारी के दौर में पूरा

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत? और सोशल मीडिया के रिश्ते

अ भिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत? आलेखः गुरमेल सिंह, संस्थापक नेकी की दीवार लोगों को लगता है कि अवसाद कुछ भी नहीं है, इसे नाटक कहा जाता है। लेकिन यह मन के कैंसर के बराबर है, मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हम एक समाज के रूप में, यह नहीं जानते हैं कि लोग अपनी भावनाओं को लेकर कितने असहज हैं। हमें खुद को साझा या एक्सप्रेस करने के लिए कोई नहीं है, कुछ अपने जीवन साथी से भी खुलकर बात नहीं कर सकते हैं। बस उन्हें डर है कि वे महसूस करेंगे कि उन्हें शर्म आती है या खारिज कर दिया जाता है। हालांकि आज के समय में हमारे पास सोशल मीडिया, व्हाट्सएप, फेसटाइम तो है, लेकिन कोई भी सगा नहीं है जो हमारी भावनाओं और चिंताओं को साझा करने के लिए उपस्थित हो। हमारे पूर्वजों के पास सोशल मीडिया का मंच नहीं था। लेकिन जीवांत रिश्ते थे। उनके पास भाइयों, बहनों और दोस्तों के सुंदर संबंध थे। जो सब कुछ साझा करते थे, जो अब एक दिन भी मौजूद नहीं है। ये चीजें धीरे-धीरे मानसिक बीमारी का कारण बनती हैं। अगर हम किसी की ज्यादा मदद नहीं कर सकते हैं तो निश्चित रूप से हम उन्हें ’’ल