बॉर्डर क्षेत्र में बहने लगी पूर्वांचली छठ मैया की बयार
नहाए खाए के साथ शुरू हुआ तीन दिवसीय त्यौहार
हजारा-पीलीभीत। इंडो नेपाल बॉर्डर क्षेत्र सहित समूचे ट्रांस शारदा क्षेत्र में पूर्वांचली त्यौहार छठ मैया की बयार बहने लगी है, जगह-जगह बने छठ बेदी की साफ-सफाई रंग रोगन का कार्य शुरू हो गया है। वहीं पूरे क्षेत्र में डाला छठ पूजन की तैयारी जोरो पर है।
पूर्वांचल में मनाया जाने वाला विशेष त्यौहार डाला छठ का पूजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ विधि विधान के साथ व्रतधारी महिलाएं बनाने की तैयारी कर चुकी है, इस त्यौहार में खास बात यह है कि उगते हुए सूरज को तो सभी प्रणाम करते हैं। इस त्यौहार में डूबते हुए सूर्य देव की भी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना किया जाता है। दीपावली त्यौहार के 6 दिन पश्चात डाला छठ पूजन होता है इस त्यौहार में व्रत धारी महिलाएं 36 घंटे की कठोर निर्जला व्रत रहकर अपने पुत्र पति परिवार की लंबी आयु, शुभकामना, खुशहाली व सलामती का व्रत रखती हैं। 19 नवंबर की शाम को विशेष पकवान खाने के बाद महिलाओं का व्रत छठ मैया के रूप में शुरू हो जाता है। 20 नवंबर को रंग रोगन से सुसज्जित क्षेत्र के तालाब पोखर शारदा तट शारदा नाला के निकट बने छठ वेदियो पर व्रत धारी महिलाएं नवीन वस्त्र धारण कर सिर पर डलिया में सेब, केला, संतरा, शकरकंद, सिंघाड़ा, मूली, अदरक, धान का चूरा, गुलगुला सहित अन्य प्रकार के फल से सुशोभित समूह के साथ छठ बेदी की ओर शाम के समय छठ मैया से संबंधित मंगल गीत गाते हुए जाती हैं। डूबते हुए सूर्य देव की पूजा आराधना विधि विधान के साथ की जाती है, तत्पश्चात अगले दिन 21 नवंबर को भोर के समय पुनःनवीन वस्त्र धारण कर के सभी व्रत धारी महिलाएं छठ वेदी पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य देव की प्रतीक्षा कर सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत एवं पूजन को पूरा करती हैं। नेपाल सीमावर्ती एवं ट्रांस शारदा क्षेत्र के गांव राणाप्रताप नगर, कबीरगंज, श्रीनगर, गौतम नगर, विजय नगर, अशोक नगर, शांति नगर, भरतपुर, शास्त्री नगर, सिद्ध नगर, टांगिया सहित अन्य गांव में डाला छठ पर्व की तैयारी देखते ही बन रही है।
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