दलाल आशाओं के चंगुल में जच्चा-बच्चा की जान, प्राइवेट अस्पतालों में फैला कमीशन का काला कारोबार
कमीशन न देने वाले चिकित्सक पर कई तरह के विलेम लगाकर करती है मरीजों को गुमराह
पूरनपुर-पीलीभीत। प्रसूति महिला एवं नवजात बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव गांव आशा बहू तैनात की गईं है, लेकिन कमीशन खोरी के चलते यह आशाएं पूरी तरह प्राइवेट अस्पतालों की एजेंट बनकर काम कर रही है। नॉर्मल डिलिवरी से लेकर सीजर में इनका मोटा कमीशन होता हैं। अल्ट्रासाउन्ड के सौ दो सौ रूपये छोड़कर प्रसव में इनको तीन से चार हजार रूपये की मोटी कमाई हो रही हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं देने के वजाए आशा बहूओं को कमीशन का चस्का लग चुका है, संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता भी कही न कही इनका हौसला बढ़ा रही है। प्रसव के मरीजों को प्राइवेट अस्पताल लेजाकर उनका सीजर कराने की होड़ है। कोरोना काल में भी आशाएं एक एक सीजर पर तीन से चार हजार का मोटा कमीशन पैदा कर चांदी काटने का काम कर रही हैं। पूरनपुर में एक सूत्रीय कार्यक्रम चल निकला है कि अस्पताल संचालित करने के पहले आशाओं से संबंध अच्छे करने होंगे और उसके बाद मरीजों की जेब काटकर आशाओं को देना हैं। आलम यह है कि नॉर्मल प्रसव में भी आशाओं को तीन हजार रूपये की कमीशन चिकित्सक से चाहिए। जो अस्पताल कमीशन देने में ना नुकुर करते है उनपर कई तरह के विलेम लगाकर मरीज को इधर से उधर घुमाया जाता हैं। कई बार इस हरकत से जच्चा और बच्चा की जान पर बन जाती है। लेकिन कमीशन खोरी में अंतर आत्मा को मार चुकी आशाओं पर इसका कोई असर नहीं होगा। नगर के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से अधिक आशा बहूओं को खुलेआम प्रसूति महिलाओं की सौदेबाजी करते देखा जा सकता हैं।
इंसेट बयान- डा0 प्रेम सिंह राजपूत, एमओआईसी
आशाएं प्रसूति महिलाओं को लेकर प्राइवेट अस्पताल पहुंच रही है तो गलत है, मैं जांच कराता हूं कि कौन कौन कमीशन के धंधे में लिप्त है। दोषी होने पर कार्रवाई की जाएगी।
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