संपादकीय!
हर भारतीय की आंखों में चीन से प्रतिशोध लेने की चमक होनी चाहिए
चीन के बाद दुनिया के लिए विकल्प होगा आत्मनिर्भर भारत
हर भारतीय की आंखों में चीन से प्रतिशोध लेने की चमक होनी चाहिए
चीन के बाद दुनिया के लिए विकल्प होगा आत्मनिर्भर भारत
@रामनरेश शर्मा |
चीन से डरने की जरूरत नहीं है, आधुनिक दौर में आत्मनिर्भर भारत को चीन पर नजर रखने की जरूरत है और नंबर दो से एक के पायदान पर पहुंचने में देर नहीं लगेगी। चीन के मुकाबले भारत दुनिया में आबादी के मामले में नंबर दो पर है और चीन अब तक बेरोजगारी को अथियार बनाकर दुनिया में चमका है। चीन ने बढ़ती आबादी को रोजगार की दिशा देकर दुनिया भर में सस्ते गैजेट उपलब्ध कराए है और आर्थिक स्थिति को दुरूस्त किया। भारत उसके नक्शे कदम पर चलकर चीन को मात देने की ताकत रखता है और जब वार आर्थिक स्थिति पर होगा तो चीन तिलमिलाएगा। चीन की बौखलाहट से निपटने के लिए भारत को हर दम तैयार रहना होगा। आर्थित मामलों के विशेषज्ञों की माने तो चीन कोरोना वायरल से हुए जान माल व आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए बिना वजह ही भारत से युद्ध छेड़ सकता है। चीन वर्तमान समय को दृष्टिगत रखते हुए भारत से युद्ध मोल लेकर भी आंतरिक स्थिति को साधने का हर संभव प्रयास करेगा। भारत को भी महामारी के दौर में पूरा ध्यान चीन की चाल पर लगाना होगा और आर्थिक नीति ही कूटनीति से काम लेना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के युवाओं को आत्मनिर्भरता का जो मंत्र दिया है उसमें सीधा मुकाबला चीन से तय है। आबादी के अनुपात में भारत चीन को टक्कर देने में सक्षम है। भारत को आत्मनिर्भरता के साथ आत्म मंथन करने की जरूरत है कि क्या? यह 1962 का भारत है या फिर हौसलों में कुछ कर गुजरने का नया लोकतंत्र है। सन् 1962 में भी लद्दाख और मैकमोहन रेखा को लेकर तनाव के बाद 20 अक्टूबर को युद्ध हुआ और अंत में 20 नम्बर में युद्ध विराम हो गया। भारत उस समय भी एक माह तक चीन के साथ अधूरे संसाधनों की दम पर लड़ा और विश्व में चीन से लोहा लेना का संदेश दिया। भारतीय सैनिकों ने चीन से 14000 फीट की ऊंचाई से चलाए गए अस्त्रों का जवाब दिया। इस लड़ाई में भारत के जाबाजों ने 722 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। आसमान पर बैठे सैनिकों को निशाना बनाना भारतीय सैना के लिए असंभव था। लेकिन उनके हौसलों में कोई कमी न थी। हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि चीन को भारत से 1962 में भी टक्कर दी और करीब 1383 देश के लिए शहीद हो गए। वर्तमान में भी चीन दुनिया में कहीं आंखे दिखाए लेकिन भारतीय जवान उसे मुंह तोड़ जवाब देना बखूबी जानते हैं। हर भारतीय की आंखों में चीन से प्रतिशोध लेने की चमक होनी चाहिए तभी भारत दुनिया में अपना सही मुकाम हासिल करने में कामयाब होगा।
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