आखिर कैसे? आम नागरिक करे अधिकारियों से बात
@punita mishra |
भारतीय गौ रक्षा वाहिनी की राष्ट्रीय मीडिया सचिव ने सीयूजी नंबररें की सुरक्षात्मक कोड हटाने की उठाई मांग
पुनीता मिश्रा.........
गोंडा-यूपी। गोंडा के डीएम डॉक्टर नितिन बंसल ने जैसे ही अपना पदभार सम्भाला। सबसे पहले वह पत्रकार बंधुओ के व्हाट्सअप ग्रुप से लेफ्ट हो गये और जनता की बात सुनने के लिए सरकार सीयूजी नम्बर पर सुरक्षात्मक कोड लगा लिया। इससे न तो उनको कोई अपने ग्रुप से जोड़ सके और न ही उनको कुछ जनहित की खबरें प्रेषित की जाए। डीएम के अलावा जिले के कप्तान राजकरन नैय्यर ने भी किया। शायद इन लोगों की शुरुआत के साथ डीडीओ ने अपने सीयूजी मोबाइल नम्बर की प्राइवेसी बंद ही की थी कि कुछ दिन बाद सीडीओ ने यही नीति अपना डाली कि अभी हाल ही जनपद में आये एडीएम महोदय. भी आते ही यह प्रक्रिया सीख चुके थे कि लोगों के शिकायत पर अब वह एक दो ग्रुप से जुडकर खबरें देख संज्ञान लेते है। जिले के पचास फीसद अधिकारी अपने सीयूजी नम्बर पर सुरक्षात्मक कोड लगा लिए है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा आदेशित किया गया है कि कोरोना महामारी (कोविड-19) के समय पीड़ित जन अपनी समस्या से अवगत कराकर सहायता प्राप्त करें। मीडिया कर्मी भी मुख्यमंत्री महोदय के आदेश का पालन करके जन सहयोग में लगे है किंतु अधिकारियों के क्रिया कलापों से हतोत्साहित होकर पीड़ित हो चुके हैं। इन अधिकारियों को जो सरकार द्वारा सीयूजी नम्बर दिये जाते हैं। जनता की सेवार्थ होते हैं। सार्वजनिक होते है, साथ ही आम नागरिक अपनी बात इन लोगों तक कभी किसी वक्त पहुचाने लिऐ स्वतंत्र होता है। लेकिन साहब को जब किसी जनमानस की समस्या निवारण के लिए फोन किया जाता हैं तो फोन साहब के पी०आर०ओ० उठाते हैं। जवाब आता है साहब मीटिंग में हैं। अगर आप तीन बार यह प्रक्रिया करते हैं तो चौथी बार साहब का फोन नहीं उठता। एक जानकारी के मुताबिक अगर मीडिया कर्मी कोई खबर लगाते या खबरों के ग्रुप में पोस्ट करते हैं तो साहब को संज्ञान में भी नही लेते है। इससे इनके अधीनस्थ कर्मचारी और अराजकतत्वों के हौंसले और भी बुलंद जाते है। ईमानदार कोतवाल ऐसे है जो पीड़ित का काम पैसे लेने के बाद सुनवाई करते है, अपराधियों को सजा दिलाने के नाम पर मौज करते है। पहले पीड़ित का अभियोग पंजीकृत करते बाद में अपराधी से पैसा लेकर पीड़ित पर भी विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर देते है। जनपद की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। इतना ही नहीं कुछ तो बिना विवेचना किए पहले अपराधी की ओर से मुकदमा दर्ज करके अपनी जेब गरम कर प्राथमिकी लिख देते हैं और बाद में पत्रकारों पर दबाव बनाते है। उसके बाद मामूली धाराओं में पीड़ित का भी मुक्कदमा पंजीकृत कर लेते है। लेकिन जब उसका साक्ष्य लेकर पीड़ित नेता या पत्रकार के साथ जाता है तो विवेचना की बात बताकर मामला सीओ पर डाल देते है। इसका मुख्य कारण होता कि जब जिस जिले का अधिकारी ही समस्या नहीं सुनेगा तो अन्य अधिकारियों के अधीन अधिकारी बेलगाम हो ही जायेंगे। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए भारतीय गौ रक्षा वाहिनी की राष्ट्रीय सचिव युवा प्रकोष्ठ पुनीता मिश्रा ने आम जनमानस की समस्याओं को देखते हुए आवाज बुलंद की है और कहा कि अगर सरकार इस गोण्डा जिले के अधिकारियों के सीयूजी नम्बरों को आम जनमानस के लिए खोलने पर विचार नहीं करेगी तो जितने मामले डेली सरकार के पोर्टल पर आते है उनमें से पचास प्रतिशत भी सरकार नहीं सुधार पाएगी। उन्होंने बताया कि भारतीय गौ रक्षा वाहिनी युवा प्रकोष्ठ व राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ-भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ताआरसी शर्मा निरंकारी, राष्ट्रीय पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट देह अदानी व एडवोकेट सज्जन सिंह, भारत जनरलिस्ट काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय पत्रकार संघ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कपिल तिवारी, राष्ट्रीय पत्रकार संरक्षण परिषद भारत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संचालन आचार्य पंडित ब्रिज कुमार दीक्षित व राष्ट्रीय अध्यक्ष गौ गीता गंगा संगठन विनय कुमार मिश्र ने भी सुश्री मिश्रा का समर्थन किया है। साथ ही आचार्य पंडित ब्रिज कुमार दीक्षित ने जानकारी दी है कि हरदोई के डीएम पुलकित खरे ने आचार्य ब्रिज कुमार दीक्षित का नंबर अपने व्हाट्सप्प पर ब्लॉक कर दिया है।
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