ट्रांस शारदा क्षेत्र में देखने को मिले प्राकृतिक सफाई कर्मी
पूरनपुर-पीलीभीत। ट्रांस शारदा क्षेत्र में शनिवार विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध देखे गए है, तेजी से गायब हो रहे गिद्ध प्रजातियों को शारदा क्षेत्र के एक तट पर झुण्ड में बैठा देखा गया है। टाईगर रिजर्व के लिए यह सुखद संदेश हैं।
मानना जाता है कि गिद्ध प्राकृतिक सफाई कर्मी के तौर पर नदियों व समुद्र से गंदगी की सफाई करने का काम करते है। धीरे-धीरे इनकी प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई। मानना है कि अब तक 90 से 95 प्रतिशत गिद्ध विलुप्त हो चुके है और बचे पांच प्रतिशत गिद्ध की प्रजाति ही शेष है। शनिवार को झुंड में बैठे गिद्धों को शारदा क्षेत्र के एक तट पर देखा गया है। विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे सात प्रजातियों के गिद्ध झुंड में देखे गए है। पेस्टिसाइड एवं डाइक्लोफैनिक के अधिक इस्तेमाल के चलते गिद्ध प्रजाति संकट में है। फसलों में पेस्टीसाइड के अधिक प्रयोग से घरेलू जानवरों में पहुंचता है। वहीं मृत पशु खाने से गिद्धों में पहुंचता है। पेस्टिसाइड से शारीरिक अंग को नुकसान पहुंचता है। इससे इनकी प्रजनन क्षमता खत्म होने के कारण गिद्ध संकट ग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में पहुंच गए है। वर्ष 1990 से ही देशभर में गिद्धों की संख्या गिरने लगी। गिद्धों पर यह संकट पशुओं को लगने वाले दर्द निवारक इंजेक्शन डाइक्लोफैनिक की देन थी। मरने के बाद भी पशुओं में इस दवा का असर रहता है। गिद्ध मृत पशुओं को खाते हैं। ऐसे में दवा से गिद्ध मरने लगे। इसको ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने पशुओं को दी जाने वाली डाइक्लोफैनिक की जगह मैलोक्सीकैम दवा का प्रयोग बढ़ाया है। यह गिद्धों को नुकसान नहीं पहुंचाती। इसके चलते गिद्धों की प्रजाति को कम से कम ही देखा जा रहा है। यह पर्यावरण के लिए अच्छी खबर है।
--------------------------------------------------
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें