कृषि विभाग ने चेताया भूलकर भी न लगाए साठा धान
पूरनपुर-पीलीभीत। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पराली फूंकने व साठा धान पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। आदेश के अनुपालन में पंचायती राज विभाग व लेखपालों ने गांव-गांव कृषकों को जागरूक करने का अभियान भी चलाया। उसके बाद भी कृषि विभाग पीलीभीत ने एक बार फिर किसानों को हिदायत दी है कि साठा धान भूलकर भी न लगाये।
पराली जलाने पर पूर्णतया रोक के साथ ही किसानों द्वारा जनवरी - फरवरी में साठा धान की नर्सरी डालने की शिकायत पर कृषि विभाग फिर हरकत में आया है, किसानों को नया फरमान जारी किया गया है कि ग्रीष्म कालीन साठा धान की खेती से पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि होती है। अतिरिक्त साठा धान की फसल में उर्वरक, कृषि रक्षा रसायनो व श्रम की अधिक आवश्यकता से हर चौथे दिन सिंचाई के लिए पानी की लगता है। इससे साठा धान लगाने में लागत भी बढ़ती है और दूसरी ओर भू-गर्भ जल स्तर भी गिरता है। भविष्य में पेय जल के संकट की संभावनाएं पैदा हो सकती है। भू-गर्भ जल स्तर के लगातार गिरने एवं पर्यावरण प्रदूषण को रोकने एवं खरीफ की फसल में कीट रोग के प्रभाव को कम करने के लिए मृदा में ह्यूमस की मात्रा व मृदा उर्वरता को संरक्षित रखने को साठा धान की खेती पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। चेतावनी के बावजूद साठा धान लगाने पर प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।
इंसेट-
साठा न लगाकर किसान करें ककड़ी-खीरा की फसल
साठा धान की फसल के स्थान पर तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी एवं अन्य ग्रीष्म कालीन सब्जियों के साथ दलहनी फसलें करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ ही उर्द, हरी खाद, मूग की खेती व कम उर्वरक, कम कृषि रक्षा रसायन, कम श्रम, कम सिंचाई करके अधिक लाभ के लिए कार्यालय उप कृषि निदेशक पीलीभीत ने जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किये हैं।
-----------------------------
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें