प्रवासी पक्षियों का शिकार रोकने के लिए वन महकमा नहीं है गंभीर
पूरनपुर-पीलीभीत। साइबेरिया से मीलों की दूरी तय करके हर साल भारत आने वाले प्रवासी पक्षियों के वन महकमा गंभीर नहीं है, इसके चलते चोरी छुपे पक्षियों के शिकार पर अंकुश नहीं लग रहा है। शिकारी इन पक्षियों के शिकार के बाद नेपाल में अच्छे भाव में बेचते हैं।
साइबेरिया का मौसम सर्दियों में पक्षियों के रहने लायक नहीं रहता। नवंबर शुरू होते ही बर्फ जमने लगती है, साइबेरियन पक्षी प्रवास के लिए भारत का रुख करते हैं। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र की ओर कई दिनों की हजारों मील लंबी यात्रा करने के बाद साइबेरियन पक्षी पीलीभीत, इलाहाबाद और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों को आशियाना बनाते हैं। इन पंछियों की नजरे बड़ी तेज होती हैं और लंबी उड़ान भरने के लिए दुनियां भर में जाने जाते हैं। मंजिल तय करके के दौरान रास्ते में पड़ने वाले विजुअल, लैंडमार्क्स जैसे पहाड़ व नदियों आदि से गुजरते हुए पीलीभीत की तराई में पहुंचते हैं। माना जाता है कि करीब एक दशक पहले साइबेरिया सरकार इन पंछियों के पैरों में छल्ले नुमा ट्रांसमीटर लगाती थी। इससे दूरी का अंदाजा लगाने की बात कही जाती रही हैं। प्रवासी पक्षियों की परेशानी का सबब जलवायु परिवर्तन है। ग्लोवल वार्निग के लिए बढता प्रदूषण जिम्मेदार है। सर्दी के मौसम में जिले की ओर रुख कर शारदा डैम की शोभा बढ़ाने वाले प्रवासी /साइबेरियन पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। डैम के पानी में झुंड के रूप में मौजूद इन पक्षियों पर शिकारियों की नजर भी हैं। ऐसे में मेहमान पक्षियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी काफी मुश्किल है और वन विभाग इसको लेकर कतई गंभीर नहीं हैं।
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